बड़ी पुरानी कहावत है की -प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती इसे कार्यान्वन में ले
पुणे में परिवहन व्यवस्था
महाराष्ट्र के इतिहास में सदैव ही पुणे का आर्थिक व सामाजिक महत्व रहा है . आज भारत में इसे एक महत्वपूर्ण महानगर की भी उपमा मिल गयी है .यहाँ २०,००० से अधिक छोटे बड़े व्यापर विद्यमान है जिनमे से ८० % लघु और कुटीर उद्योगों के अंतर्गत आते है . अत्यधिक हुए सीमा विस्तार के कारन इसे दो महापालिका में बाटा गया है पुणे और पिम्परी चिंचवड़ .साथ ही ग्रामीण भागो की गरिमा को भी नहीं नाकारा गया यहाँ मुलभुत सारी भौतिक सुविधाएं प्रदान की जाती है अच्छी सड़के और प्रशासनिक व्यवस्था के साथ यहाँ कई राष्ट्रीय और बहुराष्ट्रीय बड़े प्रकल्प संसथान भी खड़े किये गए जिससे यहाँ अत्यधिक नए रोजगारो और स्वयंरोजगारो को भी बढ़ावा मिला |
पिम्परी चिंचवड़ महापालिका विगत कई वर्षो से संपूर्ण एशिया भूखंड में सबसे उन्नत मानी जाती है .यहाँ कई हिस्सों में व्यापारिक परिवेश फैले है जैसे – चाकन ,तळेगाव ,खेड ,शिकरापुर ,रांजणगांव ,लोनिकन्द ,तलवडे ,उर्से ,हिंजेवाड़ी ,पिरुंगुट ,फुरसुंगी ,सासवड ,यवत ,हडपसर ,वाघोली ,जेजुरी ,कात्रज ,शिरवल ,येरवडा ,विमाननगर ,चिंचवड़ ,पिम्परी इत्यादि
इनमे येरवडा ,विमाननगर ,तलवडे ,हिंजेवाड़ी,औंध ,बानेर आदि स्थान तकनिकी विकास हेतु प्रसिद्ध है
प्रशासनिक परिवहन की बात करे तो पी .एम् .टी . और पी . सी .एम् .टी . की यहाँ उन्नत सेवाएं है ,हर छोटे गाओं में राज्य परिवहन की बस दस्तक देती है .यहाँ लोहगॉव में पुराना हवाई अड्डा है साथ ही चाकन में व्यावसायिक हवाई अड्डे की बाटे भी सुनाई देती है |
व्यापारिक परिवेश :-
मुंबई देश का पुराना बंदरगाह और भारत के हृदय की स्पंदन है तो पुणे को व्यापर जगत की धमनी कहना भी अतिशयोक्ति नहीं होगी .मुंबई में फैलाव हेतु पर्याप्त जगह नहीं बची तो उद्योगपतियों हेतु प्रथम प्राथमिकता पुणे को दी जाती है .यहाँ कंपनियों का विस्तार भी अपेक्षा से कही अधिक है जिससे सहायक उद्योगों में भी काफी होड़ है .गतिमान जनसँख्या विस्फोट के कारन परिवहन को भी दिनोदिन अधिक दक्षता की आवश्यकता है |
किन्तु सदैव विकास और विनाश का साथ बना रहा है .अत्यधिक जनसँख्या विस्फोट के कारन अपेक्षित बुनियादी जरूरतो के अभाव का आभास हो रहा है . विषम गृह निर्माण प्रणाली ,निष्क्रिय कचरो का निष्काशन , कारखानों का प्रदुषण ,बाहुबलियों का आतंक ,बढ़ता कोर्पोरटवाद ,प्रशासनिक ढिलाई , मार्गो के निष्क्रिय अवरोधक , ईकॉमर्स के मायाजाल ने इसकी दर्शन व्यवस्था को धूमिल कर दिया है |
अत्यधिक लाभ से होनेवाली बार बार सड़को की खुदाई ,बड़े व्यापारों के बढ़ने और प्रशासनिक ढिलाई से बाहुबलियों का बढ़ता प्रकोप ,यातायात की बढ़ती मुश्किलें ,ईकॉमर्स के शोषण और चाटुकारिता के कारन परिवहन व्यवस्था खोखली होती जा रही है .ग्राहकों को अपेक्षित सेवाएं उच्च दामों पर निष्क्रिय और बेईमान लोगो से परोसी जा रही है .जिससे महत्तम शुल्क अदायगी के उपरांत ग्राहकों को भारी हानि अथवा छल को भुगतना पड़ता है और छलावे के बाद प्रशासन भी इनकी मदत हेतु निष्क्रिय सिद्ध होता है . ग्राहक थोड़ा पैसा बचने के लिए अपने मॉल और राशि से हाथ धो बैठते है |
बड़ी पुरानी कहावत है की -प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नहीं होती .इसे कार्यान्वन में ले |