परिवर्तन प्रकृति का सबसे बड़ा सत्य है और दूरदर्शिता व्यापारिक सफलता की सबसे बड़ी कुंजी । विगत सात दशकों से भारत एक प्रगतिशील राष्ट्र की संज्ञा से बोधित होता आया है । हमारे जीवनशैली रहन सहन व्यापारीकरण और जान सामान्य परिवेश में अत्यधिक बदलाव और नूतनीकरण हुआ। कदाचित इसी कारन से परिवहन विभाग ने नए ट्रकों की और पुराने ट्रको की विगत भार क्षमता बढ़ा दी है । ट्रकों के एक्सले लोड में बढ़ोतरी से ट्रक चालकों और मालिकों को राहत मिलेगी । एआरपीओ के अनुसार परिवहन विभाग ने नए व पुराने ट्रको पर भार क्षमता बढ़ाई है । यह आदश 16 जलाई से लागू हो गया है ।
फिटनेस में बढ़ोतरी –
अब ट्रकों को सालाना फिटनेस का प्रमाणपत्र भी नहीं लेना होगा। इस व्यवस्था को भी समाप्त कर दिया गया है। अब ट्रकों को 1 साल के बदले 2 साल में फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा। कदाचित इससे वहां चालकों को कुछ किफायती रहत मिले ।
भार नियमो में बदलाव और अनुकूलता –
सरकार ने एक्सिस लोड नियम में बदलाव किया है। इन नियमों को पिछली बार 1983 में संज्ञान लिया था । अब इनमें 35 वर्षो बाद सुधार हुआ है। अब मार्गो की गुणवत्ता और वाहनों की क्षमता में भी इजाफा हुआ है।
अब इस कदम से 16 टन के वाहन 19 टन तक वजन ले जा सकेंगे।
25 टन के वाहन 28.5 टन तक
37 टन वजन ले जाने वाले वाहन 42 टन
गाड़ी मालिकों का काफी पैसा अतिभार दंड राशि में व्यय होता था । सरकार के इस फैसले से भ्रष्ट्राचार रोकने में मदद मिलेगी। वर्त्तमान सरकार के अनुसार हमको अपने एक्सेल लोड वैश्विक मानकों के हिसाब से करने की आवश्यकता है। इससे वाहनों की वजन ढोने की क्षमता 20 से 25 फीसदी बढ़ जाएगी। साथ ही लॉजिस्टिक की लागत जो हर प्रकल्प में अनुमानित ५% से अधिक होती थी उसमे भी 2 फीसदी की कमी आएगी । भारत के सभी ३४ राज्यों (जिनमे मार्ग परिवहन अत्यधिक सक्रिय है ) राज्यों को इस फैसले को लागू करने की निर्देश जारी की जाएगी। इन नियमों को तोड़ने वालों पर भी अत्यधिक कड़ी कार्रवाई होगी।
साथ ही सरकार का कड़ा निर्देश भी है कि वर्त्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर के अनुकूल ओवरलोडिंग पर नकेल कसने की अत्यधिक जरुरत आन पड़ी है। अब हम इन नियमों का बहुत कड़ाई से पालन करेंगे। अगर किसी वाहन में ज्यादा लोड है तो वो वजन कम करने के बाद ही वाहन को जाने दिया जाएगा। विदेशों के मुकाबले भारत में लॉजिस्टक कॉस्ट बहुत ज्यादा है। विकसित देशों से आज भी भारतीय मार्ग परिवहन दुगना -तिगुना महंगा है ।
भारत में उपलब्ध व्यापारिक वहां उनकी बनावट अनुपात और विगत भार क्षमता .