सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तान हमारा
ईस्ट या वेस्ट इंडिया इस दी बेस्ट
इंडिया बनाम भारत
भारत एक महान देश हैं उसे ये नाम महान एवं वीर पुरुष व भारत की महान विभूतियों के नाम पर दिया गया है । परंतु ब्रिटिश शाषन के समय सही उच्चारण न कर पाने के की वजह से उन्होने इंडस नदी के नाम पर देश को एक नया नाम दिया इंडिया । और यही से हमारा देश दो अलग अलग समुदायो मे बंट गया ।
सारे जहाँ से अच्छा हिंदोस्तान हमारा
ईस्ट या वेस्ट इंडिया इस दी बेस्ट
शाब्दिक रूप से दोनों पंक्तियों का अर्थ समान है परंतु अगर आज के दौर मे देखें तो ये दोनों पंक्तियाँ हमारे देश को दो एकदम भिन्न स्वरूपों और दशा दिशा को दर्शातीं हैं । हमारा देश जो एक विशाल देश है चाहे क्षेत्रफल की द्रष्टि से देखें या जनसंख्या की द्रष्टि से या संस्कृति की द्रष्टि से । पर जितनी विभिन्नता हमारे देश मे देखने को मिलती है उतनी विश्व मे कहीं और नहीं दिखाई देती। आज हमारे देश मे एक अत्यंत ही आधुनिक सर्वसुविधायुक्त जीवन जीने वाली आबादी है जो पाश्चात्य संस्कृति से इतनी प्रभावित है की उनको देख कर यकीन ही नहीं होता की ये भारतीय हैं और एक वो तिरस्कृत जनसमूह है जो आज भी अभावों मे जीता है पर अपने संस्कारो को नहीं छोड़ता जो आज भी अभिमान से खुद को भारतीय कहता है । आज हम अपने देश के इन ही दो स्वरूपो की चर्चा करते हैं जो हैं तो एक ही सिक्के के दो पहलू पर एक दूसरे से बिलकुल पृथक अत्यंत ही भिन्न – भिन्न ।
इंडिया और भारत : एक देश दो नाम
इंडिया और भारत दो अलग-अलग समुदाय नहीं हैं । हालांकि कई लोगों का तर्क है कि इंडिया अधिक प्रगतिशील और शहरी है, जबकि भारत देश का ग्रामीण, अविकसित तिरस्कृत व पिछड़ा भाग है, परंतु यह सच नहीं है ।अंतर केवल सोच का है । भारत अब एक तीव्र गति से विकास करने वाला देश और हमारी प्रमुख शक्तियां जनसांख्यिकीय लाभांश हैं और विनिर्माण और सेवाओं जैसे प्रमुख क्षेत्रों में भी हम अग्रणी हैं ।भारत वो देश है जहां वैदिक ऋषियों ने संस्कृति और ज्ञान का सार बताया तो इंडिया वर्तमान वास्तविकता है जहां आईआईटी जैसे संस्थान कई प्रतिभाशाली पेशेवरों और अग्रणी उद्यमियों का निर्माण करते है जो हमारे देश के आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करते हैं । हमारी राष्ट्रीय पहचान हमारी परंपरा और आधुनिकता का एक सुंदर मिश्रण है। भारत दुनिया का सबसे अच्छा स्थान है और हमारी क्षमता हमें वैश्विक महाशक्ति बनने का मौका प्रदान करती है । हाँ पर फिर भी यथार्थवाद की एक खुराक महत्वपूर्ण है। भारत का शहरी-ग्रामीण विभाजन कम हो रहा है , लेकिन फिर भी हमारे सामाजिक आर्थिक सूचकांक और भारत के कस्बों , शहरों और उसके गांवों के महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रगति को सुधार की आवश्यकता है क्यूंकी कहीं न कहीं आज भी शहरों मे विकास की गति ग्रामीण क्षेत्रों से कहीं अधिक है ।
इंडिया और भारत वर्गीकरण का कारण :-
कहा जाता है की भारत गांवो का देश है यहाँ की आबादी का एक बड़ा प्रतिशत आज भी गांवो या छोटे शहरों मे रहता है . जो अभावो की ज़िंदगी जीता है और अपनी दैनिक आवश्यकताओ की पूर्ति के लिए भीषण संघर्ष करता है उसके पास रोजगार नहीं है ,अच्छे स्कूल नहीं है , पीने का साफ पानी तक नहीं है और चलने और सुगम जनजीवन के लिए सड़के नहीं हैं जिसे भारत कहा जाता है ।
वहीं देश का दूसरा वर्ग है जो बड़े शहरों मे रहता है फर्राटेदार अँग्रेजी बोलता है और आधुनिक और विलासिता पूर्वक जीवन जीता है जो अपने आप को इंडिया का नागरिक बताता है ।
इन दोनों ही वर्गों मे अंतर विकास और विचार का है एक वर्ग जो विकास की गति मे बहुत आगे निकल गया और दूसरा वर्ग जो विकास की दौड़ मे कहीं पीछे छूट गया । बदलते दौर ने इस खाई को इतना गहरा कर दिया की उसे पाटना मुश्किल हो गया । आज ये दोनों वर्ग एक दूसरे से इतने दूर हो गए हैं की लगता है की नदी के दो किनारे जो शायद कभी न मिल पाये । पर आज कई सरकारी और गैरसरकारी संस्थाओ के प्रयासो से इन दोनों वर्गो के बीच एक पुल बनाने का प्रयास किया जा रहा है जो इन दोनों वर्गो को समीप लाकर भारत और इंडिया को दो नहीं बल्कि एक राष्ट्र के रूप मे विकसित होने मे मदद करेंगे ।
आइये हम देखते हैं की किस प्रकार ये दोनों वर्ग एकदूसरे से इतने दूर हो गए और इनको समीप लाने के लिए क्या प्रयास किए जा रहे हैं। इसके साथ ही ये भी देखेंगे की भारत मे व्यापार की क्या समभावनाए हैं क्यूंकी किसी क्षेत्र मे व्यापार की तरक्की ही उसकी उच्च विकास दर और बदलते स्थानिक परिवेश को दर्शाती है ।
इंडिया बनाम भारत : एक अलग द्रष्टिकोण
1980 के दशक मे हमारा देश विकास के नए चरण मे था आज़ादी के बाद से लगातार हो रहे प्रयासो का असर अब दिखाई देने लगा था लेकिन इस विकास की दौड़ मे शहरों के विकास पर अधिक ध्यान दिया गया और गांवो को अच्छी तरह विकसित नहीं किया गया एक तर्कहीन सौतेला व्यवहार किया गया . हमारा शहरी बुनियादी ढांचा तो बहुत श्रेष्ठ था पर गांवो और कस्बों के विकास को पूर्ण रूप से छोड़ दिया गया । इसी का परिणाम हुआ की भारत मे दो दुनिया बस गईं जो एक होते हुए भी एक दूसरे से बिलकुल ही भिन्न हो गई। इसका जिवंत अनेक उदाहरण हमें मुंबई और दिल्ली जैसे बड़े शहरों मे देखने को मिलता हैं जहां एक और ऊंची – ऊंची इमारतें और अत्यंत आधुनिक जीवनशेली दिखाई देती है तो वहीं वहाँ की मलिन बस्तियाँ देश की गरीबी और विकास की असमानता को इंगित करते हैं ।
परंतु आज उन्नत विज्ञानं और शिक्षा के व्यापक प्रसार से ग्रामीण क्षेत्र भी प्रगती कर रहे हैं वहाँ भी रोजगार के अवसर उपलब्ध हो रहे हैं । युवा साक्षर होकर स्वयं का व्यवसाय करने के इक्षुक हैं न की सारा जीवन सरकारी नौकरी की राह देखने के ।
इंडिया बनाम भारत : प्रमुख समस्याएँ
जहां तक बुनियादी ढांचे का संबंध है, वहां भी ग्रामीण क्षेत्र अभी भी बढ़ रहे हैं । परंतु आवश्यक है की सभी राजनीतिक पार्टियां वोट बैंक की राजनीति छोड़ देश के सभी क्षेत्रों के विकास की और पर्याप्त ध्यान दें । गांवो मे केवल धर्म और समाज की बात न कर वहाँ विकास को प्राथमिकता दें । शिक्षा और रोजगार के साथ ही जीवन शेली मे सुधार और मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति ग्रामीण क्षेत्रों की पहली ज़रूरत हैं ।
परंतु इसका अर्थ ये नहीं की शहरों मे कोई समस्याएँ नहीं शहरी क्षेत्रों में भी कानून और व्यवस्था की समस्याएं, साथ ही साथ सुरक्षा और दक्षता संबंधी चिंताएं भी हैं। रोजगार की समस्या भी अभी तक सबसे प्रमुख समस्या है क्यूंकी अपेक्षित सरल सुगम जीवन शेली के लिए योग्य आय धन की आवश्यकता होती है और उसकी पूर्ति हेतु अच्छी नौकरी ,रोजगार या स्वयंरोजगार की ।
इंडिया बनाम भारत : बदलता परिद्रश्य :-
1991 के दशक मे देश की अर्थव्यवस्था उदार हो गई थी और ग्रामीण क्षेत्रों के विकास पर भी ध्यान दिया गया सरकार भी समझ गई थी की देश का विकास तब तक संभव नहीं हैं जब तक की गाँव और शहर दोनों को साथ लेकर न चला जाएँ इसके परिणाम स्वरूप कई योजनाएँ लागू की गई शहरों को गांवों से जोड़ने के लिए सड़कों का निर्माण किया गया ग्रामीण क्षेत्रों मे शिक्षा और रोजगार की और ध्यान दिया गया । जल्द ही इसके परिणाम भी दिखाई देने लगे और परिणाम स्वरूप ग्रामीण क्षेत्र से कई प्रतिभाए उभर कर सामने आईं । उदाहरण के लिए देखे तो क्रिकेट मे कई उच्च कोटी के खिलाड़ी जैसे महेंद्र सिंह धोनी । और हरियाणा के पिछड़े इलाको से कई कुश्ती के खिलाड़ी सामने आए जिनहोने देश का नाम ऊंचा किया । साथ ही आई आई टी जैसे संस्थानो मे भी ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थी पहुँचने लगे । गूगल के सी इ ओ – श्री सुन्दर पिछाइ विलक्षण प्रतिभा के धनि भी ऐसे भारतीय नवरत्नों में से एक है .
व्यापारिक द्रष्टिकोण :
एक समय था जब गांवो या कस्बो मे अगर किसी व्यक्ति को कोई सामान चाहिए हो तो उसे शहर भागना पड़ता था पर आज बदलते सामाजिक परिद्रश्य मे बड़ी बड़ी कंपनियाँ भी इस बात को अच्छी तरह समझ चुकी हैं की व्यापार मे अधिक लाभ कमाने के लिए आवश्यक है की लोगो को सभी सुविधाए उनके आसपास ही उपलब्ध कराई जाएँ । यहीं कारण है की आज कई कस्बो और छोटे और मँझोले शहरों मे भी सुपर मार्केट और मॉल खुल रहें हैं और सफलता पूर्वक चल रहे हैं । लोग उच्च जीवन शेली को अपना रहें है और इसके लिए वो नई सम्भावनाओ और अवसरों को खोज रहें हैं । छोटे शहरों के युवा भी आजकल उच्च शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं और रोजगार के लिए बड़े शहरों की और न जाकर अपने ही शहरों मे अवसर तलाश रहे हैं । साथ ही बड़ी बड़ी कंपनिया जैसे टी सी एस ,इन्फोसिस ,रिलायंस आदि भी अपने लिए योग्य कर्मचारी ढूंढने हेतु छोटे शहरों की और रुख कर रहे हैं । आज कई कंपनिया अपने कार्यालय भी स्थापित करती हैं ताकि उच्च प्रतिभावन छात्रों का चयन कर सकें । विकास की इस गति ने इंडिया और भारत के बीच की दूरी को काफी हद तक कम कर दिया है ।
भारत कहे या इंडिया हम एक महान देश के नागरिक हैं :-
हम अपने देश को किसी भी नाम से संबोधित करें पर सच तो यही है की हम एक ऐसे देश के नागरिक हैं जहां हिन्दू ,मुस्लिम ,सिख ,ईसाई , पारसी ,जैन और न जाने कितने संप्रदायों के लोग आपसी प्रेम और सौहाद्र के साथ रहते हैं हाँ कुछ मुद्दो पर क्षणिक मतभेद है पर दिल से हम सब हिन्दुस्तानी ही हैं हम सभी अपनी प्राचीन संस्कृति और सभ्यता से प्रेम करते हैं । हम पाश्चात्य सभ्यता का अनुसरण ज़रूर करते हैं पर अपनी सभ्यता को भूले नहीं हैं हम आज भी बड़ो का आदर करते हैं कहीं कोई धार्मिक स्थल देख कर अपने आप ही हमारे हाथ जुड़ जाते हैं । हम कितने ही आधुनिक हो जाएँ पर अपनी जड़ों को नहीं भूल पाते हैं ।
हमारी राष्ट्रीय अखंडता हमारे देश में रहने वाले कई समुदायों के शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर निर्भर करती है। इंडिया भारत की प्राचीन सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। यह कला और साहित्य जैसे क्षेत्रों में भारत की पिछली उपलब्धियों का प्रतीक भी है। इंडिया ने भारत की इस प्राचीन संस्कृति को अवशोषित कर लिया है और एक ऐसे वातावरण का विकास किया है जहां सभी संस्कृतियों एक दूसरे के साथ शांति से रहते हैं। सभी धर्मों के लिए हमारा सम्मान राष्ट्र की शक्ति का प्रतीक है ।
भारत मे विकास की संभावनाएं :-
भारत में विकास के लिए जबरदस्त क्षमता है। यह वर्तमान समय के आधुनिक, प्रगतिशील और वैज्ञानिक दृष्टिकोण के साथ भारत की प्राचीन संस्कृतियों को जोड़ती है।
हमारे देश मे कई विरोधाभास हैं लेकिन हम ऐसे भी एक राष्ट्र का प्रतिनिधितित्व करते हैं जहां सकारात्मक दिशा में विकास अभी भी संभव है। यदि सुधारों को अच्छी तरह से लागू किया जाये और भारत के युवाओं को उनके योग्य अवसर दिए जाये तो सर्वोत्तम संभव परिणाम हासिल किए जा सकते हैं । भले ही हम अपने देश को इंडिया या भारत के रूप में देखते हैं, पर हमारे बुनियादी मूल्य और अपने सभी नागरिकों का आधुनिक दृष्टिकोण एक वास्तविकता बन रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में प्रबुद्ध महिला उद्यमी रोजगार उन्नत आय के अवसर पैदा कर हो रहे हैं । शहरी गैर-लाभकारी संस्थाएं और कंपनियों के सीएसआर भी तारकीय काम कर रहे हैं । इन सब के परिणाम स्वरूप ग्रामीण क्षेत्र भी उन्नति कर रहे हैं । पर आज भी ग्रामीण क्षेत्रो मे खेती करने वाले किसानो के समक्ष कई समस्याएँ हैं जिन का निवारण आवश्यक है क्यूंकी आज भी हमारे देश की जनसंख्या का एक बड़ा भाग खेती पर निर्भर है इसलिए इस क्षेत्र मे विकास की ओर ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है ।
हम एशिया की सबसे बड़ी और उभरती हुई अर्थव्यवस्था हैं और आज पूरा विश्व हमारी और देख रहा है हमारे पास योग्य युवाओ का एक विशाल समूह समुदाय है इसका सीधा अर्थ है की हमारे पास विकास के कई अवसर है बस आवश्यकता है उन अवसरो का सही उपयोग कर दूरदर्शिता से काम लेते हुए सभी युवाओं को बराबर मौके दिये जाए । उन्हे उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए पर्याप्त अवसर दिये जाए ताकि वो भी इंडिया और भारत के फेर से बाहर निकल कर समान रूप से देश के विकास मे योगदान दे और समाज को प्रगति के पथ पर ले जाएँ । यही आज के समय की आवश्यकता है और यही इंडिया और भारत को एक राष्ट्र बनाने का मंत्र है । ताकि हम सब शान से कह सकें
हम बुलबुले हैं इसके ये गुलसीतान हमारा ,हिन्दी हैं हम वतन के हिंदोस्तान हमारा
सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तान हमारा ।